Saturday, 28 March 2009

आईपीएल क्यों बने एनआरआईपीएल

आईपीएल तो केवल इंडियन पैसा लीग है कहीं भी करा लो पैसा मिलना चाहिए चाहे जैसे भी मिले चाहे देश की इज्जत रहे या मिटटी में मिल मिल जाए। अब क्या हमार देश इतना कमजोर हेा गया है कि हम अपने यहां खेलने वाले चंद खिलाड़ियों की सुरक्षा नहीं कर सकते। जरा सोचें ।

Wednesday, 18 February 2009

आम बजट में खास इंतजाम

आम बजट में खास इंतजाम
आम बजट कहने को तो आम आदमियों के लिए पेश किया जाता है पर इसमें आंकड़े छोड़ आम जन को मिलता ‘शायद ही कुछ है। देखने में आंकड़े भले सुकून दे सकते हों पर वास्तविकता के धरातल पर आज दाल 56 रूपए किलो तक पहंुच गई है। इसकी सुध लेने को कौन कहे हमारे नेताओं को वादों को झुनझुना पकड़ाने की आदत सी पड़ गई है।

Monday, 2 February 2009

मंगलौर का रास्ता कहां जा रहा

मंगलौर का रास्ता कहां जा रहा है आज भारत का हर आदमी यही सोच रहा है ‍। भारत का सांस्क्रितिक स्वभाव क्या होगा यह हम ही तय करेंगे । क्योंकि हम एक जिम्मेदार भारत के नागरिक भी हैं और हमारा कर्तव्य भी बनता है कि देश की संस्कृति और संस्कार भी हमारे बनाए हों जिससे हम उसका सही पालन और पोषण कर सकें। हमें गंभीरता से सोचना चाहिए कि हम क्या रहे हैं और क्या करें।

Thursday, 9 October 2008

कंधमाल में हिंसा

हिंसा के रूप ऐसे हैं ,भयावह तस्वीरों को देखने वालों के भी कलेजे हिल जायें ,परन्तु सबसे बड़ी बात है की ऐसी हिंसा के पीछे करण क्या है?

क्योंकि एक बार और हजारों बार ऐसे पुलिस बल का प्रयोग करके हम हिंसा या प्रत्रिक्रिया को कुछ समय के लिए viraam de सकते है ,पर एक ऐसा माहौल नही दे सकते की लोग हमेशा चैन की साँस ले सकें ।

तो जरूरत हमध्यान रखने की है की समस्या को जादा से समाप्त किया जाए न की ,कुछ समय के लिए। क्योंकि यह भारत वर्ष हम सब का है,लेकिन तभी तक जब तक हम इसे अपना राष्ट्र समझें।

Monday, 11 August 2008

अमरनाथ में मरते लोग


अमरनाथ यात्रा एक ऐसा आयोजन है जो हर हिंदू की धार्मिक भावना से जुड़ा हुआ है।पर आज जो जम्मू में हालत हैं उनको देख कर यह कहा जा सकता है किघाट और जम्मू के सम्बन्ध सौहार्द पूर्ण नही हैं । एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र ने इसी मुद्दे पर घटी और जम्मू के लोगों से बात कि तो घटी के लोगों कि प्रतिक्रिया पढ़ कर घोर निराशा हुई क्योंकि सभी ने भारत को एक पराये देश कीतरह समझ कर अपनी प्रतिक्रिया जताई,यह सब तब है जब किभारत सबसे अधिक प्रति व्यक्ति धन जम्मू और कश्मीर के लोगों को उपलब्ध कराताहै ।
भारत के बहुसंख्यक लोग आज अल्पसंख्यक कीतरह जीने को मजबूर हैं । आज जिस असंतुलन की बात घटी लोग कर रहे हैं यदि वे इतिहास में झांके तो उन्हें पता चल जाएगा कि जम्मू कश्मीर में पहले हिंदू बहुसंख्यक थे पर आज भारत की उदारता ने उसे ही ऐसा फंसा दिया है कि न लोग सुरक्षित हैं न सरकार ।

Wednesday, 4 June 2008

बढ़ती कीमत घटती गंभीरता

भारत की सरकार की गंभीरता इसी बात से आंकी जा सकती है ,सभी चीजों के दाम बेतहाशा बढे हुए हैं लेकिन फिर भी सरकार पेट्रोल, डीज़ल के दाम बढ़ने का फ़ैसला कर लिया है।
और भगवन न करे की प्याज की कीमतें एक बार फिर सरकार आंसू निकल दे । चूँकि प्याज़ की कीमतें abhi तो सरकार के मुताबिक अधिक उत्पादन के कारण कम हो गई हैं ,लेकिन जैसे ही निर्यात बढ़ा भारत में भी कीमतें फिर बढ़ सकती हैं ।
लेकिन सरकार यदि गंभीरता से सोचे और ध्यान दे तो कीमतों पर नियंत्रण किया जा सकता है।

Wednesday, 12 March 2008

हाकी

हाकी की भारत में होती दुर्दशा से हर भारतीय दुखी है ,लेकिन राजनीति की चाल ऐसी है की वह इसके सुधरने की संभावनाओं के बारे में भी हमें आपको सोचने के लिए केवल एक दिशा दे सकती है ,लेकिन इससे कहीं अच्छा ये होता किनहमारी सरकार के लोग खेल से खेल न खेलें