हिंसा के रूप ऐसे हैं ,भयावह तस्वीरों को देखने वालों के भी कलेजे हिल जायें ,परन्तु सबसे बड़ी बात है की ऐसी हिंसा के पीछे करण क्या है?
क्योंकि एक बार और हजारों बार ऐसे पुलिस बल का प्रयोग करके हम हिंसा या प्रत्रिक्रिया को कुछ समय के लिए viraam de सकते है ,पर एक ऐसा माहौल नही दे सकते की लोग हमेशा चैन की साँस ले सकें ।
तो जरूरत हमध्यान रखने की है की समस्या को जादा से समाप्त किया जाए न की ,कुछ समय के लिए। क्योंकि यह भारत वर्ष हम सब का है,लेकिन तभी तक जब तक हम इसे अपना राष्ट्र समझें।
5 comments:
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achchha vichaar.
badhaaee!
ब्लागजगत में आपका स्वागत है। आशा है अच्छा और नियमित लिखेंगे।
Sahikaha aapne. aaj rastriyata ki sahi paribhasha log bhul rahe hain. Swagat.
ये साम्राज्यवादी मुलुको ने हतियार बनाए, हतियार के बल पर उपनिवेष और उपनिवेषो से लुटा ढेर सारा धन। अब ये चाहते है की इनके डलर/पाउंड/युरो के बल पर सारी दुनिया को ईसाई बना दें। सारे विश्व मे एक ही धार्मिक विचार वाले लोग हो और उनका धार्मिक मुखिया वेटीकन सिटी मे बैठे जो इनका प्यादा हो और वह जो बोले उस पर सारी दुनिया वाले श्रद्धा रखें। यह सर्वसत्तावादी विचार एक बहुत बडी हिंसक प्रवृति है। चर्चो द्वारा लोभ लालच के बल पर कराया गया धर्मातरण स्वयम ही हिंसा हीं है। उपर से चर्च द्वारा एक धार्मिक व्यक्ति लक्ष्मणानन्द सरस्वती की हत्या। चर्चो की इस हिसा ने हिसा को जन्म दिया। बहुत दुख होता है यह सब देख कर।
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