हिंसा के रूप ऐसे हैं ,भयावह तस्वीरों को देखने वालों के भी कलेजे हिल जायें ,परन्तु सबसे बड़ी बात है की ऐसी हिंसा के पीछे करण क्या है?
क्योंकि एक बार और हजारों बार ऐसे पुलिस बल का प्रयोग करके हम हिंसा या प्रत्रिक्रिया को कुछ समय के लिए viraam de सकते है ,पर एक ऐसा माहौल नही दे सकते की लोग हमेशा चैन की साँस ले सकें ।
तो जरूरत हमध्यान रखने की है की समस्या को जादा से समाप्त किया जाए न की ,कुछ समय के लिए। क्योंकि यह भारत वर्ष हम सब का है,लेकिन तभी तक जब तक हम इसे अपना राष्ट्र समझें।
Thursday, 9 October 2008
कंधमाल में हिंसा
Monday, 11 August 2008
अमरनाथ में मरते लोग

अमरनाथ यात्रा एक ऐसा आयोजन है जो हर हिंदू की धार्मिक भावना से जुड़ा हुआ है।पर आज जो जम्मू में हालत हैं उनको देख कर यह कहा जा सकता है किघाट और जम्मू के सम्बन्ध सौहार्द पूर्ण नही हैं । एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र ने इसी मुद्दे पर घटी और जम्मू के लोगों से बात कि तो घटी के लोगों कि प्रतिक्रिया पढ़ कर घोर निराशा हुई क्योंकि सभी ने भारत को एक पराये देश कीतरह समझ कर अपनी प्रतिक्रिया जताई,यह सब तब है जब किभारत सबसे अधिक प्रति व्यक्ति धन जम्मू और कश्मीर के लोगों को उपलब्ध कराताहै ।
भारत के बहुसंख्यक लोग आज अल्पसंख्यक कीतरह जीने को मजबूर हैं । आज जिस असंतुलन की बात घटी लोग कर रहे हैं यदि वे इतिहास में झांके तो उन्हें पता चल जाएगा कि जम्मू कश्मीर में पहले हिंदू बहुसंख्यक थे पर आज भारत की उदारता ने उसे ही ऐसा फंसा दिया है कि न लोग सुरक्षित हैं न सरकार ।
भारत के बहुसंख्यक लोग आज अल्पसंख्यक कीतरह जीने को मजबूर हैं । आज जिस असंतुलन की बात घटी लोग कर रहे हैं यदि वे इतिहास में झांके तो उन्हें पता चल जाएगा कि जम्मू कश्मीर में पहले हिंदू बहुसंख्यक थे पर आज भारत की उदारता ने उसे ही ऐसा फंसा दिया है कि न लोग सुरक्षित हैं न सरकार ।
Wednesday, 4 June 2008
बढ़ती कीमत घटती गंभीरता
भारत की सरकार की गंभीरता इसी बात से आंकी जा सकती है ,सभी चीजों के दाम बेतहाशा बढे हुए हैं लेकिन फिर भी सरकार पेट्रोल, डीज़ल के दाम बढ़ने का फ़ैसला कर लिया है।
और भगवन न करे की प्याज की कीमतें एक बार फिर सरकार आंसू निकल दे । चूँकि प्याज़ की कीमतें abhi तो सरकार के मुताबिक अधिक उत्पादन के कारण कम हो गई हैं ,लेकिन जैसे ही निर्यात बढ़ा भारत में भी कीमतें फिर बढ़ सकती हैं ।
लेकिन सरकार यदि गंभीरता से सोचे और ध्यान दे तो कीमतों पर नियंत्रण किया जा सकता है।
और भगवन न करे की प्याज की कीमतें एक बार फिर सरकार आंसू निकल दे । चूँकि प्याज़ की कीमतें abhi तो सरकार के मुताबिक अधिक उत्पादन के कारण कम हो गई हैं ,लेकिन जैसे ही निर्यात बढ़ा भारत में भी कीमतें फिर बढ़ सकती हैं ।
लेकिन सरकार यदि गंभीरता से सोचे और ध्यान दे तो कीमतों पर नियंत्रण किया जा सकता है।
Wednesday, 12 March 2008
हाकी
हाकी की भारत में होती दुर्दशा से हर भारतीय दुखी है ,लेकिन राजनीति की चाल ऐसी है की वह इसके सुधरने की संभावनाओं के बारे में भी हमें आपको सोचने के लिए केवल एक दिशा दे सकती है ,लेकिन इससे कहीं अच्छा ये होता किनहमारी सरकार के लोग खेल से खेल न खेलें
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